सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं – सांकेतिक भाषा क्या हैं?

भाषा का एक महत्वपूर्ण रूप या प्रकार सांकेतिक भाषा है. जिसे हिंदी व्याकरण में जगह नहीं मिली है. लेकिन हिंदी भाषा के सम्पूर्ण ज्ञान के लिए सांकेतिक भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य है. इस आर्टिकल (sanketik bhasha kise kahate hain – सांकेतिक भाषा क्या हैं – सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं) में हम सांकेतिक भाषा से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करेगे.

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सांकेतिक भाषा क्या हैं? / सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं? (sanketik bhasha kise kahate hain)

जब कोई व्यक्ति भाषा के दो रूप मौखिक और लिखित की जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता हैं. तो इस स्थिति में व्यक्ति अपनी भावनाओ और मनोदशा को व्यक्त करने के लिए हाथों का सहारा लेता है. ऐसे व्यक्ति जो शारीरिक रूप से दिव्यांक होते है. और जो मुकबधिर बच्चे होते है. ये बच्चे और व्यक्ति अपनी भावनाओ और इच्छाओ को हाथों और अंगुलियों के इशारे तथा चेहरे के हाव-भाव की सहायता से अन्य व्यक्ति को बताते है. भाषा की इस प्रक्रिया को ही सांकेतिक भाषा कहा जाता है.

लिखित भाषा किसे कहते हैं – लिखित भाषा के उदाहरण क्या हैं

सांकेतिक भाषा में हाथों और अंगुलियों के इशारों से मूकबधिर लोग आपस में तथा अन्य व्यक्ति से बात करते है. ऐसे लोगो को सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे आसानी से मूकबधिर लोग बात कर सकते है. और अपनी भावनाए और मनोदशा प्रकट कर सकते है. विभिन्न देशों में सांकेतिक भाषा के अनेक रूप है. जिसमे से किसी सांकेतिक भाषा को सरकारी मान्यता मिली है और किसी को अभी भी सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं हुई है.

हमारे देश में जिस सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जाता है. वह भाषा अफ्रीका की सांकेतिक भाषा हैं. जिसे दुनियाभर में पहचान मिली हैं. तथा दुनिया भर में बड़ी संख्या में मुखबधिर लोग इस भाषा का उपयोग करते हैं.

मौखिक भाषा किसे कहते हैं – मौखिक भाषा के उदाहरण क्या हैं

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं)) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको सांकेतिक भाषा के बारे में बताना हैं. सांकेतिक भाषा में हाथों, अंगुलियों के इशारे के साथ मुह के हाव-भाव की सहायता से व्यक्ति अपनी भावनाए और मनोदशा अन्य लोगो को समझाता हैं. सांकेतिक भाषा मूकबधिर लोगो के लिए बहुत सहायक हैं. और एक रामबाण की तरह हैं.

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