sansadhan kise kahate hain – संसाधन कितने प्रकार के होते हैं

संसाधन किसे कहते हैं – sansadhan kise kahate hain – संसाधन का अर्थ – संसाधन का महत्त्व क्या हैं – संसाधन कितने प्रकार के होते हैं –  इस आर्टिकल में आप संसाधन की परिभाषा से लेकर संसाधन के महत्त्व और संसाधन के वर्गीकरण के बारे में अध्ययन करने वाले हैं. संसाधन प्रत्येक वह वस्तु या प्राकृतिक स्तोत्र हैं जिसका उपयोग इन्सान अपने लिए फायदे के लिए करता हैं.

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संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain)

संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं.

जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं.

1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो.

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संसाधन का महत्त्व क्या हैं?

संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होता हैं.

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संसाधनों का वर्गीकरण कैसे किया गया हैं –संसाधन कितने प्रकार के होते हैं

संसाधनों को मुख्यरूप से चार भागों में विभाजित किया गया हैं. यह चार भाग निम्न-अनुसार हैं:

  • उत्पत्ति के आधार पर
  • समाप्यता के आधार पर
  • स्वामित्व के आधार पर
  • विकास के स्तर के आधार पर

उत्पत्ति के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण

उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों को दो भागों में बाटा गया हैं:

  • जैविक संसाधन
  • अजैविक संसाधन

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जैविक संसाधन

वह प्राकृतिक संसाधन जिसमें जीव या जीवन होता हैं. उन्हें जैविक संसाधन कहा जाता हैं.

जैविक संसाधन के उदाहरण: पशु, पक्षी, वन्य प्राणी, मनुष्य, समुंद्री जीव इत्यादि.

अजैविक संसाधन

वह प्राकृतिक संसाधन जिसमें जीवन निर्हित नहीं हैं या निर्जीव होते हैं. उन्हें अजैविक संसाधन कहा जाता हैं.

अजैविक संसाधन के उदाहरण: वायु, खनिज पदार्थ, पानी, सूर्य का प्रकाश इत्यादि.

समाप्यत के आधार पर संसाधन का वर्गीकरण

समाप्यत के आधार पर संसाधनों को दो भागों में बाटा गया हैं:

  • नवीकरण योग्य संसाधन
  • अनवीकरण योग्य संसाधन

नवीकरण योग्य संसाधन

नवीकरण योग्य संसाधन वह संसाधन होते हैं जिनका फिर से निर्माण करना संभव होता हैं.

नवीकरण योग्य संसाधन के उदाहरण: सौर उर्जा, गोबर गैस, पवन उर्जा, जल, वन इत्यादि.

अनवीकरण योग्य संसाधन

हमारे प्रकृति में उपस्थित ऐसे वस्तुए और संसाधन जिसका एक बार ही उपयोग हो सकता हैं. तथा उन्हें सिर्फ प्रकृति से ही प्राप्त किया जा सकता हैं. अनवीकरण योग्य संसाधन कहा जाता हैं.

जैसे पेट्रोल का सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता हैं. उसके बाद उस पेट्रोल का कोई अस्तित्व नहीं होता हैं. प्रकृति में जितने भी धातु के स्त्रोत हैं इन्सान उनसे सिर्फ एक बार धातु को प्राप्त कर सकता हैं. अंत धातु अनवीकरण योग्य संसाधन हैं.

अनवीकरण योग्य संसाधन के उदाहरण: खनिज पदार्थ, प्राकृतिक तेल, कोयला, धातु.

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स्वमित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण

स्वमित्व के आधार पर संसाधनों को चार भागों में बाटा गया हैं:

  • व्यक्तिगत संसाधन
  • सामुदायिक संसाधन
  • राष्ट्रीय संसाधन
  • अंतर्राष्ट्रीय संसाधन

व्यक्तिगत संसाधन

वह संसाधन जिसका स्वामित्व व्यक्ति का निजी हो. ऐसे संसाधन को व्यक्तिगत संसाधन कहा जाता हैं.

व्यक्तिगत संसाधन के उदाहरन: घर, तालाब, कुआ, निजी खेती की भूमि, निजी भू-भाग इत्यादि.

सामुदायिक संसाधन

वह संसाधन जिसका स्वामित्व किसी समुदाय विशेष का हो. यह समुदाय किसी गाव, शहर, कस्बे, जाति, या समाज का हो सकता हैं. ऐसे संसाधन को सामुदायिक संसाधन कहा जाता हैं.

सामुदायिक संसाधन के उदाहरन: श्मशान, खेल का मैदान, सार्वजानिक पानी स्त्रोत, सार्वजानिक कुए इत्यादि.

राष्ट्रीय संसाधन

वह संसाधन जिसका स्वामित्व किसी राष्ट्र या देश का हो. ऐसे ससाधन को राष्ट्र की संपदा कहा जाता हैं. तथा ऐसे वस्तु या संसाधन का ध्यान रखना राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के दायरे में आता हैं. ऐसे संसाधन को राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता हैं.

राष्ट्रीय संसाधन के उदाहरन: सड़के, देश की सीमाए, रेल लाइन, नहर इत्यादि.

अंतर्राष्ट्रीय संसाधन

तटरेखा से 200 मिल दूर खुले महासागर अंतराष्ट्रीय संसाधन के दायरे में आते हैं. और अंतराष्ट्रीय संस्थाने इनकी व्यवस्था करती हैं. यह महासागर अंतराष्ट्रीय संसाधन में आते हैं. ऐसे संसाधनों को अंतराष्ट्रीय संसाधन कहा जाता हैं.

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विकास के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण

विकास के आधार पर संसाधनों को चार भागों में बाटा गया हैं:

  • संभावी संसाधन
  • विकसित संसाधन
  • भंडार
  • संचित कोष

संभावी संसाधन

ऐसे संसाधन जो मौजूद तो हैं लेकिन उनके उपयोग की तकनीक की पूरी जानकरी नहीं होने के कारन इनका उपयोग नहीं हो पाता हैं. जैसे राजस्थान और गुजरात में पवन उर्जा और सौर उर्जा के भंडार मौजूद हैं. लेकिन उनका इस्तेमाल करने के लिए तकनीक उपलब्ध नहीं हैं.

विकसित संसाधन

वह संसाधन जिनका उपयोग करने के लिए प्रभावी तकनीक उपलब्ध हैं. उपयोग के लिए मापदंड और गुणवत्ता भी स्थापित हैं. ऐसे संसाधन विकसित संसाधन में आते हैं.

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भंडार

ऐसे संसाधन जो पर्यावरण में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं लेकिन तकनीक विकसित नहीं होने के कारन पूरी तरह से उपयोग संभव नहीं होता हैं.

भंडार संसाधन का उदाहरण वायुमंडल में स्थित हाइड्रोजन गैस हैं. हाइड्रोजन गैस उर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं लेकिन तकनीक नहीं होने के कारन इसका उपयोग नहीं हो रहा हैं.

संचित कोष

ऐसे संसधान जिनका इस्तेमाल करने की तकनीक तो उपलब्ध हैं. लेकिन उन्हें भविष्य के लिए संभाल के रखा गया हैं. और वर्तमान में उपयोग नहीं किया जा रहा हैं. भारत में बहुत से ऐसे बांध और नदिया हैं जिन पर अभी तक बिजली का उत्पादन शुरू नहीं हुआ हैं. उन्हें भविष्य के लिए संचित रखा गया हैं. ऐसे संसाधन को संचित कोष संसाधन कहा जाता हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल (संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ -sansadhan kise kahate hain) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको आसान भाषा में संसाधन और संसाधन से जुडी प्रत्येक वस्तुओ को समझाना हैं. इस आर्टिकल में हमने संसाधन की परिभाषा से लेकर ससाधन के महत्त्व और वर्गीकरण का समावेश किया हैं.

आपको यह आर्टिकल (संसाधन का महत्त्व क्या हैं – संसाधन कितने प्रकार के होते हैं) कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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