satyamev jayate kahan se liya gaya hai | सत्यमेव जयते किसने कहा था

satyamev jayate kahan se liya gaya hai | सत्यमेव जयते किसने कहा था |सत्यमेव जयते अर्थ क्या है  दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा और भीषण युद्ध महाभारत का है. महाभारत का युद्ध सत्य और असत्य के बिच में लड़ा गया था. यह युद्ध धर्म और अधर्म के बिच लड़ा गया था. जिसमे आखिर में धर्म और सत्य की जित होती है. हमारे देश के राष्ट्रिय प्रतिक अशोक स्तम्भ में भी सत्यमेव जयते देखने को मिलता है.

लेकिन आपको पता है की सत्यमेव जयते का कहा से लिया गया है. और सबसे पहले इस वाक्य को किसने बोला था. और इसका अर्थ क्या है. तो इस आर्टिकल में हम सत्यमेव जयते के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देगे.

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सत्यमेव जयते कहा से लिया गया है | satyamev jayate kahan se liya gaya hai

सत्यमेव जयते अथर्ववेद की शौनकीय शाखा का उपनिषद मुण्डक उपनिषद से लिया गया है.

सत्यमेव जयते किसने कहा था

श्री मदन मोहन मालवीय ने सत्यमेव जयते का नारा दिया था. तथा इसका प्रचार करने में और राष्ट्र पटल पर लाने की महत्वपूर्ण भूमिका इनके ही रही थी.

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सत्यमेव जयते का नारा लगाने वाले श्री मदन मोहन मालवीय के बारे में  जानकारी:

मदन मोहन मालवीय का जन्म सन 25 दिसंबर 1861 में प्रयागराज में हुआ था. इनका पूरा नाम पंडित मदन मोहन मालवीय था. इनके पिता का नाम पंडित ब्रिजनाथ एवं माता का नाम मुनादेवी था. इन्होने अपना अभ्यास यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलाहाबाद एवं यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोलकाता से किया था.

वह उनके समय के दौरान बहुत बड़े समाज सुधारक रहे थे. वह बहोत बडे स्वतंत्र सेनानी और शिक्षाविद भी थे. 24 दिसम्बर 2014 को देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उनके सम्मान में मरणोपरांत उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक पुरष्कार भारत रत्न से नवाजा था. 12 नवम्बर 1946 को वाराणसी में मदन मोहन मालवीय देहांत हो गया था.

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उन्होंने उनके समय के दौरान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की एवं हिंदी भाषा का विकास तथा शिक्षा के विकास में काफी योगदान दिया. वह शिक्षक, वकील, संपादक, नेता, स्वतंत्र सेनानी एवं बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे. अभ्युदय, लिडर, हिंदुस्तान टाइम्स, सनातन धर्म संग्रह जैसी रचनाए उन्होंने लिखी है. एवं वह कोंग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके थे.

उन्होंने एफ.ऐ.बी.ऐ. एवं वकालत में अभ्यास किया था. मदन मोहन मालवीय जी उदार चरित्र  एवं बड़े दिल वाले थे इसलिए लोग उन्हें  “महामना”  भी कहते थे.

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सत्यमेव जयते अर्थ क्या है

‘सत्य’ मतलब सच एवं ‘जयते’ मतलब विजय अगर दोनों को मिला दे तो सत्यमेव जयते का अर्थ ‘सत्य की विजय’ होता है.

सत्य की ही हमेशा जीत होती है. अंत: यह माना जाता है की असत्य कितना भी मजबूत क्यों ना हो सत्य ही हमेशा विजयी होता है. यह शब्द भारत देश के राष्ट्रिय प्रतीक अशोक स्तम्भ जिसमे चार शेर चिन्हित है. इन चार शेरो के निचे देवनागरी लिपि में सत्यमेव जयते लिखा हुआ है. इसी सत्य की राह पर चलते हुए हमारे पूर्व ऋषि अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करते है.

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सच्चाई एवं सत्य का मानव जीवन में महत्व

मानव जीवन में सत्य का बहुत महत्त्व होता है. क्योंकि सत्य ही ऐसी वस्तु है जिससे हम किसी इंसान पर विश्वास कर सकते है. असत्य कितना भी मीठा और सुखद क्यों ना हो आखिर तो जीत सच्चाई की ही होती है. असत्य परिवर्तनशील होता है.

मतलब की कोई इन्सान अगर असत्य बोले तो वह असत्य बदलता रहता है क्योंकि उसको पता नहीं होता है की उसने पहले क्या झूठ बोला था. वह परिस्थिति अनुसार असत्य वचनों को बदलता रहता है. लेकिन सत्य हमेशा अपरिवर्तनशील रहता है. क्योंकि सत्य हमेशा एक जैसा ही होता है उसे याद रखने की जरूरत नहीं पड़ती है.

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सत्य भले ही कडवा हो लेकिन सत्य कभी गलत नही हो सकता और झूठ कितना भी मीठा क्यों ना हो वह सही नहीं हो सकता. सत्य बोलने वाले इन्सान को हमेशा सम्मान की द्रष्टि से देखा जाता हे और उस इन्सान पर किसी को भी विश्वास हो जाता है.

भारतीय संस्कृति और इतिहास में भी सत्य को अत्यंत महत्त्व दिया गया है. इतिहास में सत्य के सबसे बडे उदाहरण राजा हरिचन्द्र है. उन्होंने हमेशा अपने जीवन में सत्य का ही साथ दिया. समय आने पर उन्होंने अपना सब कुछ न्यौछावर  कर दिया. लेकिन कभी असत्य का साथ देकर सत्य को नहीं छोड़ा.

आज भी राजा हरिश्चन्द्र के नाम के आगे सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र लगाया जाता है. और किसी भी ईमानदार और सत्यवादी व्यक्ति की तुलना आज भी राजा हरिश्चन्द्र से की जाती है. सत्य एक ऐसा माध्यम है. जिसे परेशान किया जा सकता हे लेकिन सत्य को कभी पराजित नहीं किया जा सकता.

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शुरुआती दौर में सत्य को काफी परेशानिया सहन करना पडता है. लेकिन आखिर में जीत तो सच्चाई एवं सत्य की ही होती है. सत्य के मार्ग पर चलना वाला व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति करता है. और असत्य के मार्ग पर चलना वाला व्यक्ति अपने जीवन को बर्बादी की ओर ले जाता है.

इसलिए अपने जीवन में सत्यता अपनाए और अपने जीवन को उन्नति की ओर ले जाए ना की असत्य बोलकर बर्बादी की ओर ले जाए. इसलिए सत्य मानव जीवन में बहुत महत्व रखता है. सत्यमेव जयते. जय हिन्द जय भारत.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको सत्यमेव जयते के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देना है. सत्यमेव जयते अथर्ववेद की शौनकीय शाखा का उपनिषद मुण्डक उपनिषद से लिया गया है. ‘सत्य’ मतलब सच एवं ‘जयते’ मतलब विजय अगर दोनों को मिला दे तो सत्यमेव जयते का अर्थ ‘सत्य की विजय’ होता है.

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