सूरसागर किसकी रचना है | सूरसागर का सबसे चर्चित प्रसंग कौनसे है

सूरसागर किसकी रचना है | sursagar kiski rachna hai | सूरसागर का सबसे चर्चित प्रसंग कौनसे है – भारतभूमि ऋषियों और संतो की भूमि रही है. प्राचीन काल से ही हमारे देश में अनेक संतो और ऋषियों ने जन्म लिया है. जिन्होंने महान कार्य कर के भारत भूमि को धन्य कर दिया है. साहित्य के क्षेत्र में भारत की विरासत प्राचीन है. यहा पर तुलसीदास जी, सूरदास जी और रविन्द्र नाथ टैगोर जैसे महान कवि और साहित्यकार ने जन्म लिया है.

इस आर्टिकल में हम महाकाव्य सूरसागर के बारे में जानकारी प्राप्त करेगे. और जानेगे की सूरसागर की रचना किसने की थी. इसके साथ ही हम सूरसागर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी प्राप्त करेगे.

sursagar-kiski-rachna-hai-kaun-surdas-the-jivan-prichay-kavyo-ki-vishetae-1

सूरसागर किसकी रचना है | sursagar kiski rachna hai

सूरसागर की रचना ब्रजभाषा के महाकवि सूरदास जी ने की थी. सूरदास को उनकी कृष्ण भक्ति के लिए जाना जाता है.

भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुआ था | प्रथम आम चुनाव के समय लोकसभा में कितनी सीटें थी

सूरसागर की जानकारी

सूरसागर कीर्तन पदों का एक सुन्दर संग्रह है. जिसे ब्रज भाषा के महाकवि सूरदास जी रचित किया था. इस संकलन की भाषा आदरणीय और आदर्श है. सूरसागर के प्रथम नौ अध्याय संक्षित है. और दसवा स्कन्ध विस्तार में  उपलब्ध है. सूरसागर के दो प्रसंग कृष्ण की बाल लीला और भ्रमर-गीतासार अत्यधिक महत्वपूर्ण है.

ऐसा माना जाता है की सूरसागर में 1 लाख पद है. लेकिन वर्तमान में सूरसागर के केवल 5 हजार पद ही प्राप्त हुए है. भारत के अनेक स्थानों में सूरसागर की प्रतिलिपि प्राप्त होती है. जिसमे सबसे प्राचीन प्रतिलिपि राजस्थान राज्य के नाथद्वारा के सरस्वती भण्डार में सुरक्षित रखी गई है. अगर दार्शनिक विचारो की दृष्टी से देखे तो भागवत गीता और सूरसागर में ज्यादा मेल मिलाप प्राप्त नहीं होता है.

सिक्किम की भाषा क्या है | सिक्किम के बारे में जानकारी | सिक्किम का संक्षिप्त इतिहास 

sursagar-kiski-rachna-hai-kaun-surdas-the-jivan-prichay-kavyo-ki-vishetae-3

सूरसागर की रचना किस भाषा में हुई है

महाकवि सूरदास जी ब्रज भाषा के कवि थे. इसलिए उन्होंने सूरसागर की रचना भी ब्रज भाषा में ही की थी.

महाकवि सूरदास के द्वारा रचित अन्य रचनाए कौनसी है

महाकवि सूरदास ने कुल पांच रचनाए की गई थी. जिसमे सूरसागर रचना सबसे महत्वपूर्ण है. अन्य चार रचनाओ के नाम सुर सारावली, साहित्य लहरी, नल दमन्यती और ब्याहलो है.

नागरी प्रचारिणी सभा के द्वारा प्रकाशित सूरदास के हस्तलिखित ग्रथो में 16 ग्रथ प्राप्त होते है. सूरदासो के ग्रंथो में मुख्यरूप से श्री कृष्ण के रूप और जीवन आनंद का गुणगान प्राप्त होता है.

आर्य समाज की स्थापना किसने और कब की थी | आर्य समाज के 10 नियम क्या है

सूरसागर का सबसे चर्चित प्रसंग कौनसे है

सूरसागर के सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण प्रसंग के नाम निम्नलिखित है:

  • कृष्ण की बाल लीला
  • भ्रमर-गीतासार

सूरदास कौन थे | सूरदास का जीवन परिचय

सूरदास जी एक महाकवि और संगीतकाल थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन कृष्ण भक्ति को समर्पित कर दिया था. उनके पिता का नाम रामदास था. जो एक संगीतकार थे. ऐसी मान्यता भी है की सूरदास जी बचपन से ही अंधे थे. और कृष्ण भक्ति के कारण उन्हें दिव्य दृष्टी प्राप्त हुई थी. जिससे उन्होंने कृष्ण रूप का सुन्दर उल्लेख अपने पदों में किया था.

sursagar-kiski-rachna-hai-kaun-surdas-the-jivan-prichay-kavyo-ki-vishetae-2

सूरदास जी ने मात्र 6 वर्ष की अल्प आयु में घर छोड़ दिया था. और तालाब की किनारे रहने लगे थे. सुरदास जी को ईश्वर ने शुरू से ही गानविधा में महारत दी थी. जिसके कारन बहुत ही कम समय में अपनी गानविधा के कारण उनकी ख्याति आस-पास के क्षेत्र में फैल गई थी.

भारत में सबसे ज्यादा जनसंख्या किस जाति की है | भारत में OBC की जनसंख्या कितनी है

सूरदास जी को उनके सेवक ‘स्वामी’ के रूप में पूजते थे.

इसके पश्चात् उन्होंने स्थान बदला. तथा आगरा और मधुरा के बिच यमुना नदी के तट पर स्थित ‘गऊघाट’ नामक स्थान पर रहने लग गए. जहा उनकी मुलाकात श्री वल्लभाचार्य से हुई. श्री वल्लभाचार्य ने ही सूरदास को भागवान गीता का गुणगान करने को कहा था.

श्री वल्लभाचार्य से दीक्षा प्राप्त कर सूरदास जी पूर्ण रूप कृष्ण भक्ति में लग गए. और उन्होंने आगे जाकर अनेक रचनाए की जिसमे सबसे ज्यादा उल्लेखनीय ‘सूरसागर ग्रन्थ’ है.

रम्पा विद्रोह कब हुआ था | rampa vidroh kab hua tha | रम्पा विद्रोह की जानकारी

सूरदास जी के काव्यो की विशेषताए क्या है

सूरदास जी को उनके आराध्य देव श्री कृष्ण की भक्ति और मोह के लिए जाना जाता है. इसीलिए उनके काव्य भी कृष्ण भक्ति पर ही केन्द्रीय होते है. सूरदास के काव्यो की विशेषताए निम्नलिखित है:

  • सूरदास जी ने भक्ति के साथ शृंगार को जोड़कर उनके संयो- वियोग के भावो का उत्कर्ष विवरण किया है. जो किसी अन्य काव्यो में प्राप्त नहीं होता है.
  • सूरदास जी भाषा सरल और सुन्दर होने के साथ भावनावो ने ओतपोत है.
  • सूरदास जी ने अपनी रचनाओ में कहि कहि पर कुट पद भी लिखे है.
  • सूरदास जी ने काव्यो में प्रकृति का सुन्दर संकलन किया है. और प्रकृति के सुन्दर स्वरूप का सूक्ष्म वर्णन किया है.
  • सूरदास जी ने विनय पद रचित किये है. जिसमे दास्य भाव कभी-कभी महाकवि तुलसीदास जी की रचनाओ से भी आगे चले जाते है.
  • सूरदास जी ने हृदय भावो का सुन्दर विवरण किया है. गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति मोह और वियोग का सुन्दर दर्शन सूरदास जी के काव्यो में प्राप्त होता है.

समाचार कैसे लिखा जाता है स्पष्ट कीजिए | समाचार लेखन में क्या महत्वपूर्ण होता है

निष्कर्ष

इस आर्टिकल (सूरसागर किसकी रचना है | सूरसागर का सबसे चर्चित प्रसंग कौनसे है | sursagar kiski rachna hai) को लिखने का हमारा उद्देश्य आपको महाकाव्य सूरसागर के बारे में विस्तार से जानकारी देना है. सूरसागर की रचना ब्रज भाषा के महाकवि सूरदास जी ने की थी. सूरदास जी के काव्यो में उनकी कृष्ण भक्ति और मोह का बोध होता है. सूरसागर के प्रथम नौ अध्याय संक्षित है. और दसवा स्कन्ध विस्तार में उपलब्ध है.

वयस्क मताधिकार / सार्वभौमक मताधिकार क्या है | पक्ष और विपक्ष के तर्क

किसने कहा कि संविधान के बिना कोई राज्य नहीं हो सकता | संविधान की विशेषताए

रूसो किस सिद्दांत का समर्थक था | ruso kis siddhant ka samarthak tha

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

Leave a Comment

x