वेद किसे कहते हैं – वेद कितने प्रकार के होते हैं

वेद क्या है – वेद किसे कहते हैं – वेद का दूसरा नाम – वेद कितने प्रकार के होते हैं – वेदों की संख्या कितनी हैं – वेद कितने हैं -वेदों की रचना किसने की थी – हिन्दू धर्म का इतिहास बहुत पुराना हैं. जिसके प्रमाण वेद हैं. वेद हिन्दू धर्म के प्राचीन साहित्य हैं. जिसमे हमारे धर्म से जुड़े तथ्य और रहस्य मंत्रो के रूप में लिखे हुए हैं. वेदों में ना सिर्फ धर्म से सम्बन्धित ज्ञान हैं. अपितु विज्ञान, चिकित्सा, रसायन, औषधि, ब्रह्माण्ड और खगोल से सम्बंधित ज्ञान भी प्राप्त होता हैं. इस आर्टिकल में हम जानेगे वेद किसे कहते हैं. तथा वेदों की रचना किसने की थी. इसके साथ ही वेदों के प्रकार के बारे में भी विस्तार से जानेगे.

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वेद क्या है – वेद किसे कहते हैं? (what is vedas in hindi)

हिन्दू धर्म में वेदों का स्थान सम्मान जनक हैं. वेद हमारे धर्म के पवित्र साहित्य हैं. तथा वेद विश्व के सबसे पुराने साहित्य भी हैं. वेद सनातन संस्कृति के आधारशीला हैं. वेद से ही भारतीय सस्कृति इतनी समृध्द और विकसित हैं. यह भारतीयों के जीवन की शैली का आधार हैं. वेद शब्द संस्कृत भाषा के ‘विद’ शब्द से बना हैं जिसका अर्थ होता हैं ज्ञान.

प्राचीन काल में ऋषियों ने गहन ध्यान कर के जो ज्ञान अर्जित किया था. उस ज्ञान को वेदों में श्लोको और मंत्रो के रूप में लिखा गया हैं. यह वेद हिन्दू धर्म के ऋषियों और मुनियों की हज़ारों सालो के ध्यान और शोध का परिणाम हैं.

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वेद का दूसरा नाम क्या है?

ऐसा माना जाता हैं की वेदों में लिखे मंत्रो को परमात्मा ने ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप में सुनाए थे. इसी कारन वेदों को श्रुति भी कहा जाता हैं. श्रुति का अर्थ सुनाना होता हैं. वेदों का दूसरा नाम श्रुति हैं.

वेदों की रचना किसने की थी – वेद किसने लिखे (vedo ki rachna kisne ki)

वेदों की रचना ऋषि कृष्ण द्वैपायन ने की थी. इन्हें आज वेदव्यास भी कहा जाता हैं. वेदव्यास से तात्पर्य वेदों को विभाजित करने वाले से हैं. ऋषि कृष्ण द्वैपायन भगवान का रूप थे. तथा इसका जन्म द्वापर युग में हुआ था. पहले सिर्फ एक ही वेद होता था. लेकिन जब द्वापर युग पूरा हुआ और कलियुग शुरू हुआ. तब एक समस्या यह थी की इतने बढे एक वेद का अध्ययन मनुष्य के द्वारा कलयुग में करना मुश्किल था. इसलिए वेदव्यास ने ऋषियों की आज्ञा से एक वेद के चार भाग कर दीए.

किस वेद में योग के बारे में उल्लेख मिलता है?

ऋग्वेद वेद में योग से सम्बन्धित ज्ञान उपलब्ध हैं. यह सबसे प्राचीन वेद भी माना जाता हैं.

वेदों का काल

ऐसा माना जाता हैं की वेद सृष्टि के आरम्भ से पहले के हैं. इस अनुसार वेदों को 1,96,08,53,117 वर्ष पूर्व का माना जाता हैं. पुराने समय में भाषा और लिपि इतनी समृध्द नहीं थी. अंत ऋषि मुनि अपने शिष्यों को मौखिक रूप में शिक्षा दिया करते थे. धीरे-धीरे जैसे भाषा की लिपि समृध्द हुई. ऋषि मुनियों ने अपने ज्ञान को मन्त्रो और श्लोको में बदलने का प्रयत्न किया. तथा इन्हें एक जगह लिखने का प्रयत्न किया.

खगोलशास्त्रियों के अनुसार वेद वर्तमान समय से 5000 से 7000 पूर्व के हो सकते हैं. लेकिन वेदों के समय और काल को लेकर कोई एकमत नहीं हैं. वेदों में अन्तरिक्ष, ब्रह्माण्ड और अलौकिक विषय से सम्बन्धित ज्ञान हैं. वेदों में ऐसे ज्ञान हैं जो सामान्य मनुष्य के समझ से बिल्कुल परे हैं. वेदों का ज्ञान सिर्फ हमे दुनिया के बारे में जानकारी देता हैं अपितु इस दुनिया को सुचारु रूप से चलाने में भी मदद करता हैं.

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वेद कितने प्रकार के होते हैं – वेदों की संख्या कितनी हैं – वेद कितने हैं (ved kitne prakar ke hote hain – vedon ki sankhya kitni hai)

ऐसी मान्यता हैं की वेद सबसे पहले एक ही था. लेकिन लोगो की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वेदों को चार भागों में बाटा गया हैं. यह उल्लेख श्री भगवत गीता में एक मन्त्र में हैं. अंत वेदों के चार विभाग हैं. इन चार वेदों के नाम निम्नलिखित हैं:

  • ऋग्वेद
  • यजुर्वेद
  • सामवेद
  • अथर्ववेद

ऋग्वेद

ऋग्वेद की रचना सबसे पहले हुई थी. इस वेद में कुल 10 अध्याय हैं. जिसमे 1028 सूक्त हैं. तथा इस सूक्तो में 11 हजार मन्त्र विधमान हैं. ऋग्वेद में 5 शाखाए हैं. इन 5 शाखाओ का नाम शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, और मंडूकायन. इस वेद में देवतओं की स्थिति और उनके आवाहन, स्तुति, प्रार्थना से सम्बन्धित मन्त्र उपस्थित हैं.

ऋग्वेद में जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, हवन चिकित्सा, सौर चिकित्सा, और अग्नि चिकित्सा के बारे में मन्त्र हैं. यह मन्त्र चिकित्सा की विधि का उल्लेख करते हैं. ऋग्वेद के दसवे अध्याय में विभिन्न औषधि का वर्णन हैं. इस अध्याय में कुल 125 औषधियों का वर्णन हैं. तथा 107 औषधि प्राप्त करने के स्थानों का वर्णन मिलता हैं.

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यजुर्वेद

यजुर्वेद में यज्ञ से सम्बन्धित ज्ञान को मन्त्रो और श्लोको के माध्यम से बताया गया हैं. यजुर्वेद में अनेक यज्ञ, उनके उद्देश्य, और विधि के बारे में वर्णन हैं. यजुर्वेद में कुल 1975 गद्यात्मक मन्त्र हैं. यज्ञ के साथ यजुर्वेद में तत्वज्ञान का वर्णन हैं. तत्व ज्ञान में ब्रह्माण्ड, आत्मा, परमात्मा आदि के सम्बन्धित ज्ञान आता हैं. यजुर्वेद की दो शाखाए हैं. यह दो शाखाए:

  • कृष्ण
  • शुक्ल

कृष्ण

वैशम्पायन ऋषि का सम्बन्ध कृष्ण से हैं. इसकी चार शाखाए हैं.

शुक्ल

इसका सम्बन्ध याज्ञवल्क्य ऋषि से हैं. इसकी दो शखाए और 40 अध्याय हैं. इसमें वैध और कृषि विज्ञान के सम्बन्धित ज्ञान हैं.

सामवेद

सामवेद शब्द में साम का अर्थ संगीत और रूपांतरण से हैं. इस वेद में ऋग्वेद के मंत्रो का सगीतमय रूपांतर उपस्थित हैं. यह वेद सगीत शास्त्र का मूल या आधार हैं. इस वेद में 1824 सगीतमय मन्त्र हैं. जिसमे 75 मन्त्र को छोड़कर बाकि सभी मन्त्र ऋग्वेद से लिए गए हैं. ऋग्वेद के मंत्रो का सगीतमय रूपांतर सामवेद में प्राप्त होता हैं. सामवेद में 3 शाखाए और 75 रचनाए हैं. इन रचनाओ में इंद्र, सविता और अग्नि का जिक्र हैं.

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अथर्ववेद

थर्व अर्थात कंपन और अथर्व अर्थात अकंपन से हैं. जो व्यक्ति ज्ञान को अर्जित करके और श्रेष्ठ कर्म करके परमात्मा के ध्यान और उपासना में लीन होता हैं. उसी अकंपन आत्मा और बुध्दी को मोक्ष प्राप्त होता हैं. इस वेद की रचना और भाषा के लय से माना जाता हैं की इसकी रचना सबसे आखिर में हुई थी.

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आंगिरस और अथवर्ण ऋषियों के द्वारा इस वेद की रचना होने के कारन इस वेद को अथर्वांगिरस वेद भी कहा जाता हैं. इन वेद में कुल 20 अध्याय हैं. तथा 730 सूक्त और 5987 मन्त्र उपस्थित हैं. इस वेद में रहस्मय विधाओ, आयुर्वेदिक, जड़ी-बूटी, और चमत्कार से सम्बन्धित ज्ञान हैं.

इन चारों वेदों के उपवेद भी मौजूद हैं. उपवेद वेद के ही भाग हैं. जैसे उपवेद आयुर्वेद ऋग्वेद का, उपवेद धनुर्वेद यजुर्वेद का, उपवेद गंधर्ववेद सामवेद का और उपवेद स्थापत्यवेद अथर्ववेद का भाग हैं.

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निष्कर्ष

वेद हमारे सस्कृति और धर्म के आधारशीला हैं. वेद हमे सही ढंग से जीने का तरीका बताते हैं. मनुष्य के सभी सवालो के जवाब वेदों में मिल जाते हैं. वेद पूर्ण रूप से वैज्ञानिको तथ्यों और शोध के आधार पर लिखे हुए हैं. इस आर्टिकल (वेद कितने प्रकार के होते हैं – वेदों की संख्या कितनी हैं – वेद कितने हैं -वेदों की रचना किसने की थी) में हमने वेद और वेद के प्रकार से सम्बन्धित ज्ञान को विस्तार में प्रस्तुत किया हैं.

आपको यह आर्टिकल (वेद क्या है – वेद किसे कहते हैं – वेद का दूसरा नाम) कैसा लगा हैं. यह हमे तभी पता चलेगा जब आप हमे निचे कमेंट करके बताएगे. यह आर्टिकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओ की दृष्टी से भी महत्वपूर्ण हैं. इसलिए इस आर्टिकल को उन लोगो और दोस्तों तक पहुचाए जो प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. क्योंकि ज्ञान बाटने से हमेशा बढ़ता हैं. धन्यवाद.

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