विवाह लग्न पत्रिका लिखने की विधि – विवाह लग्न निकालने की विधि – विवाह से पहले मेहमानों को आमंत्रित करने के लिए विवाह लग्न पत्रिका लिखी जाती हैं. इस पत्रिका में विवाह की विवाह से जुडी सभी जानकारी दी जाती हैं. जिससे मेहमानों को सभी प्रकार की जानकारी मिल जाती हैं. विवाह लग्न पत्रिका लिखने से पहले काफी कुछ बातें ध्यान में रखनी होती हैं. यह पूरी विधि सहित लिखना जरूरी होता हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विवाह लग्न पत्रिका लिखने की विधि बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
विवाह लग्न पत्रिका लिखने की विधि
विवाह लग्न पत्रिका लिखने की पूरी विधि हमने नीचे बताई हैं.
- विवाह लग्न पत्रिका में सबसे पहले अपने इष्टदेव का नाम लिखा जाता हैं.
- इसके वर वधु के नाम नाम लिखे जाते हैं.
- वर वधु के नाम लिखने के बाद वर वधु के माता-पिता के नाम लिखे जाते हैं.
- इसके बाद वर वधु की जाती, गोत्र आदि लिखा जाता हैं. साथ-साथ गाँव और शहर का नाम भी लिखा जाता है.
- इसके बाद लग्न की तिथि और लग्न का एड्रेस लिखा जाता हैं.
- इतना लिखने के बाद परिवारों वालो के नाम लिखे जाते हैं.
- इसके बाद ननिहाल पक्ष के नाम भी पत्रिका में लिखे जाते हैं.
- अगर आपकी कोई फर्म या दुकान हैं. तो फर्म और दूकान के नाम भी लग्न पत्रिका में लिखे जाते हैं.
- अंत में लग्न पत्रिका में मोबाइल नंबर लिखा जाता हैं. जिससे मेहमानों को अधिक सुविधा मिल सके.
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विवाह लग्न निकालने की विधि
विवाह लग्न निकालने के लिए आप किसी अच्छे से ज्योतिष की सलाह ले सकते हैं. अगर आप विवाह के शुभ मुहूर्त निकलवाना चाहते हैं. तो ज्योतिष सबसे पहले आपकी कुंडली का सातवां घर देखते हैं. कुंडली में सातवां घर विवाह लग्न का माना जाता हैं.
जब कुंडली में वर वधु की गुण मिलान की प्रक्रिया पूरी जाती हैं. इसके बाद वर वधु की राशि के आधार पर और कुंडली के माध्यम से वर वधु के विवाह की तिथि, समय, वार, नक्षत्र आदि निकाले जाते हैं. इसे ही विवाह लग्न निकालने की विधि कहते हैं. और इसी प्रकार से ज्योतिष के माध्यम से विवाह लग्न निकाले जाते हैं.
विवाह का सही मुहूर्त निकालने के लिए हमारी कुंडली में मौजूद ग्रह तथा नक्षत्र का अच्छे तरीके से विश्लेष्ण किया जाता हैं. इसके बाद ही एक सही लग्न मुहूर्त निकल पाता हैं.
विवाह लग्न को निर्धारित करते समय आपको कुछ सावधानियां रखनी होती हैं. जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी प्रदान की हैं.
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विवाह लग्न को निर्धारित करते समय रखे जाने वाली सावधानियां
- अगर जन्म कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी विवाह लग्न में स्थित हैं. तो यह शुभ नही माना जाता हैं.
- अगर कुंडली में दशम भाव और द्रादश भाव में शनि मौजूद हैं. तो यह भी अशुभ माना जाता हैं.
- अगर विवाह लग्न में पीड़ित चन्द्रमा मौजूद हैं. तो यह भी वर वधु की शादी में बाधा डालने वाला माना जाता हैं.
- विवाह लग्न से सप्तम भाव में कोई ग्रह मौजूद नही हैं. तो अच्छा माना जाता हैं. इस भाव में ग्रह नही होना शुभ माना जाता हैं.
- अगर लग्न भाव में कोई पापी ग्रह मौजूद हैं. तो ऐसे वर वधु को शादी नही करनी चाहिए. सावधान रहना चाहिए.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से विवाह लग्न पत्रिका लिखने की विधि बताई है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह विवाह लग्न पत्रिका लिखने की विधि – विवाह लग्न निकालने की विधि आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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