व्याकरण के कितने अंग होते हैं?- व्याकरण के कितने भेद / प्रकार होते हैं?

व्याकरण के कितने अंग होते हैं?- व्याकरण के कितने भेद  होते हैं? – व्याकरण के कितने प्रकार होते हैं? (vyakaran ke kitne mukhya ang hote hain-vyakaran ke kitne bhed hote hain – vyakaran ke kitne prakar hote hain- vyakaran ke kaun kaun se ang hote hain) – हिंदी भाषा की विरासत बहुत बड़ी हैं. तथा हिंदी भाषा ने सब भाषाओ को अपनाया हैं. इसीलिए आज भी हिंदी भाषा का प्रभाव बरकरार हैं. लोग हिंदी बोलना और सुनना पसंद करते हैं. क्योंकि हिंदी भाषा सरल और सुरीली भाषा हैं. किसी भी भाषा का आधार उसका व्याकरण होता हैं. जो किसी भी भाषा को सही और शुध्द बोलने में मदद करता हैं.

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इस आर्टिकल व्याकरण के कितने अंग होते हैं?- व्याकरण के कितने भेद  होते हैं? – व्याकरण के कितने प्रकार होते हैं?  (vyakaran ke kitne ang hote hain / vyakaran ke kitne bhed / prakar hote hain) में हम आपको हिंदी भाषा के बहुत से महत्वपूर्ण भाग हिंदी व्याकरण और इसके अंगो के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं. किस प्रकार से हिंदी भाषा में वाक्य का निर्माण होता हैं. और हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई कौन-सी है. ये सब जानकारी आप इस आर्टिकल के जरिये प्राप्त करने वाले हैं.

Contents

व्याकरण किसे कहते हैं?

हिंदी व्याकरण वह रचना हैं जो हिंदी भाषा को लिखने और बोलने की प्रक्रिया को शुद्ध करती हैं. हिंदी व्याकरण में विभिन्न पाठ हैं. जो हिंदी भाषा को सही तरीके से बोलने और लिखने के लिए मदद करते हैं. हिंदी भाषा के लिए हिंदी व्याकरण एक महत्वपूर्ण भाग हैं.

व्याकरण के कितने अंग होते हैं?- व्याकरण के कितने भेद  होते हैं? – व्याकरण के कितने प्रकार होते हैं? (Vyakaran ke kitne mukhya ang hote hain – vyakaran ke kitne bhed hote hain – vyakaran ke kitne prakar hote hain )

किसी भी भाषा में भाव की व्यक्ति वाक्य से होती हैं. वाक्य से ही भावनाओ और मनोदशा को विभिन्न भाषाओ और लिपियों में व्यक्त किया जाता हैं. ऐसा हिंदी भाषा में भी हैं. हिंदी भाषा में वाक्य होता हैं. ये वाक्य शब्दों से मिल कर बना होता हैं. और शब्द वर्ण से मिलकर बने होते हैं.

इसी प्रकार से हिंदी व्याकरण के भेद भी निश्चित किये गए हैं. हिंदी व्याकरण के से चार अंग हैं.

  1. वर्ण विचार
  2. शब्द विचार
  3. पद विचार
  4. वाक्य विचार

वर्ण विचार

वर्ण हिंदी भाषा की मूल इकाई हैं. या वर्ण को हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई कह सकते हैं. इसका अर्थ ये है की वर्ण को ओर अधिक खंडित या तोडा नहीं जा सकता हैं. प्रत्येक वर्ण की लिपि होती हैं. जिसे वर्ण संवाद कहते हैं.

हिंदी भाषा में कुल 52 वर्णों की वर्ण माला हैं. जो हिंदी भाषा का आधार हैं. हिंदी भाषा को समझने के वर्णमाला को समझना और उच्चारण करना अनिवार्य हैं. हिंदी भाषा के 52 वर्णों में 11 स्वर, 33 व्यंजन और एक अनुस्वार (अं) और विसर्ग (अ:) सम्मिलित हैं.

इसके अलावा हिंदी भाषा के वर्णमाला में दो द्विगुण व्यंजन (ड़ और ढ़) तथा चार संयुक्त व्यंजन (क्ष,त्र,ज्ञ,श्र) सम्मिलित हैं.

हिंदी भाषा में वर्णों को निम्न भागों में विभाजित किया गया हैं.

  • स्वर
  • व्यंजन

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स्वर

स्वर वह वर्ण होते हैं. जिन्हें उच्चारण करने के लिए किसी अन्य वर्ण की जरूरत नहीं होती हैं. हिंदी भाषा में कुल 11 स्वर होते हैं. ये ग्यारह स्वर निम्न प्रकार से हैं: ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ.

हिंदी भाषा में स्वरों को उसके बोलने में लगने वाले समय, और बोलते समय होठों और मुह के आकार के अनुसार विभिन्न भागों में विभाजित किया गया हैं.

स्वरों को उच्चारण करने में लगने वाले समय के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं.

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

तथा मुह की स्थिति के आधार पर स्वर निम्न भागों में विभाजित किये गए हैं.

  1. विवृत
  2. अर्धविवृत
  3. संवृत
  4. अर्धसंवृत

इसी प्रकार उच्चरण करते समय होठों के आकार के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं. जो निम्न अनुसार हैं:

  1. वृताकार स्वर
  2. अवृताकार स्वर
  3. उदासीन स्वर

स्वर और स्वरों के भेदों के बारे में ओर अधिक जानकारी के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे.

Sawar ke kitne bhed hote hain / स्वर वर्ण के कितने भेद होते हैं?

शब्द विचार

शब्द हिंदी भाषा का दूसरा खंड हैं. जब दो या दो से अधिक वर्णों को आपस में मिला दिया जाता हैं. और उस समूह का कोई सार्थक मतलब निकलता हैं. तो उसे शब्द कहते हैं. अगर इसको एक उदाहरण से समझे तो क, म और ल तीन भिन्न वर्ण हैं. जिसे आपस में मिला देते हैं तो ‘कमल’ शब्द बन जाता हैं.

कमल शब्द का हिंदी भाषा में सार्थंक अर्थ होता हैं. कमल हिंदी में फूल का नाम और प्रजाति हैं.

व्याकरण भाषा के शब्द खंड में शब्द के सम्बन्धित वस्तुए जैसे परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, रूपांतर इत्यादि का अध्ध्यन किया जाता हैं.

हिंदी व्याकरण के अनुसार शब्दों को दो भागों में बाटा गया है. ये दो भेद निम्न अनुसार हैं:

  • विकारी
  • अविकारी या अव्यय

विकारी शब्दों को चार भागों में बाटा गया है. संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, और क्रिया.

इसी प्रकार से अविकारी या अव्यय शब्दों को भी चार भागों में बाटा गया हैं. क्रिया विशेषण, संबन्ध बोधक, संयोजक और विस्मयादि बोधक.

इस प्रकार से विकारी और अविकारी दोनों शब्दों के भेद को मिलाकर हिंदी व्याकरण में शब्दों के कुल आठ भेद होते हैं.

विकारी शब्द

विकारी शब्द वह शब्द होते हैं. जिन्हें वाक्य में प्रयोग करने पर उनका रूप परिवर्तन हो जाता हैं. इसका एक उदाहरण ‘अच्छा’ शब्द हैं. जिसका रूप विभिन्न वाक्यों में भिन्न होता हैं. जैसे ‘राजस्थान एक अच्छा राज्य हैं.’ और एक अन्य दुसरे वाक्य ‘यहा सब अच्छे लोग रहते हैं.’ यहा इस दोनों वाक्यों में ‘अच्छा’ शब्द के दो अलग रूप ‘अच्छा’ और ‘अच्छे’ हैं.

अविकारी शब्द

अविकारी शब्द वह शब्द होते हैं. जिन्हें किसी वाक्य में प्रयोग करने पर उनके रूप में परिवर्तन नहीं होता हैं. अविकारी शब्द का एक उदाहरन ‘जल्दी’ शब्द हैं. जल्दी को आप किसी भी वाक्य में उपयोग करोगे तो इसका रूप परिवर्तित नहीं होता हैं. जैसे वाक्य 1 – ‘शाम को जल्दी आना’. वाक्य 2 – ‘तुम इतने जल्दी में क्यों हो?’

दोनों वाक्यों में ‘जल्दी’ शब्द का रूप एक ही हैं. जल्दी शब्द का रूप किसी भी वाक्य के साथ परिवर्तित नहीं होता हैं.

शब्द को उनकी बनावट के आधार पर निम्न भेदों में विभाजित किया गया हैं.

  • रूढ़
  • यौगिक
  • योगरुढ

रूढ़

रूढ़ शब्द वह शब्द होते हैं. जिनके टुकड़े करने पर किसी भी शब्दों का कोई सार्थक अर्थ नहीं निकालता हैं. इसका एक उदाहरन ‘कल’ शब्द हैं. ‘कल’ शब्द दो तोड़ने पर और वर्ण बनते हैं. जिनका कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता हैं.

यौगिक

यौगिक शब्द वह शब्द होते हैं. जिनके टुकड़े करने पर प्रत्येक टुकड़े का कोई ना कोई सार्थक अर्थ निकलता हैं. इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण ‘राजपुरुष’ शब्द है. राजपुरुष को तोड़ने पर ‘राज’ और ‘पुरुष’ दो शब्द बनते हैं. तथा इन दोनों शब्दों का सार्थक अर्थ निकलता हैं.

योगरुढ

योगरुढ शब्द यौगिक शब्दों की तरह ही दो शब्दों से मिलकर बने होते हैं. लेकिन योगरुढ शब्द में टुकड़ो का सामान्य अर्थ नहीं निकल कर विशेष अर्थ निकलता हैं.

इसका एक उदाहरण ‘पंकज’ = पंक + ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला).

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पद विचार

जब किसी शब्द को किसी वाक्य में प्रयोग करते हैं. तो उस शब्द को पद मिल जाता हैं. जैसे ‘लड़का भाग रहा हैं.’ इस वाक्य में लड़का शब्द एक कर्ता, पुर्लिंग, और संज्ञा हैं. यहा ‘लड़का’ शब्द को वाक्य में प्रयोग करने के पश्चात् इसको एक पद मिल गया हैं.

वाक्य विचार

शब्दों का वह समूह जिसका कोई सार्थक अर्थ निकलता हैं. वाक्य कहलाता हैं. जैसे ‘लड़का विधालय से वापस आ रहा हैं’. इस वाक्य का अर्थ स्पष्ट हैं. इसलिए ये एक वाक्य हैं.

हिंदी व्याकरण के अनुसार वाक्य  तीन प्रकार के होते हैं. ये तीन प्रकार के वाक्य निम्न हैं:

  • साधारण वाक्य
  • संयुक्त वाक्य
  • मिश्रित वाक्य

साधारण वाक्य

साधारण वाक्य वह वाक्य हैं जिसमे कर्ता मुख्य होता हैं. इसका उदाहरण ‘राम भाग रहा हैं.; यहा कर्ता राम हैं. तथा इस वाक्य में कर्ता ही मुख्य हैं.

सयुंक्त वाक्य

सयुंक्त वाक्य में दो वाक्य होते हैं. आपस में ये दोनों वाक्य एक दुसरे पर आश्रित नहीं होते हैं. इसका उदाहरण ‘राम आया और रोहन गया हैं.’

यहा दो अलग-अलग वाक्य आपस में ‘और’ शब्द से जुड़े हुए हैं. लेकिन दोनों के कर्ता भिन्न हैं.

मिश्रित वाक्य

मिश्रित वाक्य वह वाक्य होते हैं. जिसमे एक प्रधान वाक्य होता हैं. और दुसका वाक्य उपवाक्य होता हैं. जो प्रधान वाक्य पर आश्रित होता हैं.

उदाहरन: राम भाग कर आया, थक कर सो गया.

यहा पहला प्रधान वाक्य हैं. और दूसरा वाक्य भी प्रधान वाक्य के कर्ता पर ही आश्रित हैं.

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निष्कर्ष

इस आर्टिकल व्याकरण के कितने अंग होते हैं?- व्याकरण के कितने भेद  होते हैं? – व्याकरण के कितने प्रकार होते हैं?  (vyakaran ke kitne mukhya ang hote hain – vyakaran ke kitne bhed hote hain – vyakaran ke kitne prakar hote hain-vyakaran ke kaun kaun se ang hote hain) में आपने हिंदी व्याकरण और उसके अंगो को समझा हैं. इस आर्टिकल में हमने हिंदी व्याकरण के प्रत्येक अंग के बारे में विस्तार से व्याख्या की हैं. आप भी हिंदी व्याकरण के मदद से अपनी हिंदी सुधार सकते हैं. और प्रभावीरूप से हिंदी बोल और लिख सकते हैं. वर्ण हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई है. वही वाक्य हिंदी भाषा की सबसे बड़ी इकाई हैं.

आपको ये आर्टिकल कैसा लगा. ये हमे तभी पता चलेगा जब आप हमें निचे कमेंट करके बताएगे. इस ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक फैलाए. और ज्यादा लोगो तक हिंदी व्याकरण और उसके अंगो से सम्बन्धित ज्ञान को पहुचाए.

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